Bihar Land Survey Update: 50 साल से जमीन पर कब्जा, अब बिना कागज के भी दर्ज होगा नाम

बिहार में चल रहे भूमि सर्वेक्षण में एक बड़ा बदलाव आया है। राज्य सरकार ने 50 साल से अधिक समय से जमीन पर कब्जा रखने वाले लोगों को राहत देने का फैसला किया है। अब ऐसे लोगों को बिना कागजात के भी जमीन का मालिक माना जाएगा। यह फैसला उन लोगों के लिए बड़ी राहत लेकर आया है, जिनके पास जमीन के पुराने दस्तावेज नहीं हैं।

राजस्व मंत्री दिलीप जायसवाल ने इस नए नियम की जानकारी दी है। उन्होंने कहा कि अगर कोई व्यक्ति 50 साल से किसी जमीन पर रह रहा है और उसके नाम से जमीन की रसीद कट रही है, तो उसे उस जमीन का मालिक माना जाएगा। इससे पुराने जमीन विवादों को सुलझाने में मदद मिलेगी और लोगों को अपनी जमीन का कानूनी हक मिल सकेगा।

बिहार भूमि सर्वेक्षण की मुख्य बातें

विवरणजानकारी
सर्वेक्षण शुरू होने की तारीख20 अगस्त 2024
कुल सर्वे किए जाने वाले गांव45,000
नया नियम50 साल से कब्जे वालों को मिलेगा मालिकाना हक
आवश्यक दस्तावेजरजिस्ट्री, वसीयत, रसीद, खतियान (कोई एक)
ऑनलाइन आवेदनdlrs.bihar.gov.in पर
वंशावली प्रमाणनस्व-प्रमाणित वंशावली मान्य
सर्वेक्षण अवधि6 महीने (180 कार्य दिवस)
दस्तावेज जमा करने की समय सीमा3 महीने

नए नियम से किसे मिलेगा फायदा?

  • 50 साल से अधिक समय से जमीन पर रहने वाले लोग
  • जिनके पास पुराने कागजात नहीं हैं
  • जिनके दस्तावेज खो गए हैं या नष्ट हो गए हैं
  • जिनके नाम से जमीन की रसीद कट रही है
  • आपसी सहमति से बंटवारा किए हुए जमीन के मालिक

सरल हुई वंशावली प्रक्रिया

अब वंशावली के लिए भी प्रक्रिया आसान कर दी गई है:

  • स्व-प्रमाणित वंशावली मान्य होगी
  • किसी अन्य व्यक्ति से प्रमाणित कराने की जरूरत नहीं
  • इससे लोगों को समय और पैसे की बचत होगी

दस्तावेजों की कमी अब नहीं बनेगी समस्या

राजस्व मंत्री ने स्पष्ट किया है कि:

  • बाढ़, दीमक या आग से कागजात खराब होने पर चिंता न करें
  • सरकारी रिकॉर्ड न मिलने पर भी परेशान होने की जरूरत नहीं
  • रसीद के आधार पर मालिकाना हक दिया जाएगा

भूमि सर्वेक्षण की नई समय सीमा

नीतीश कैबिनेट ने सर्वेक्षण की समय सीमा बढ़ा दी है:

  • सर्वेक्षण की कुल अवधि: 6 महीने (180 कार्य दिवस)
  • दस्तावेज जमा करने की समय सीमा: 3 महीने
  • राजस्व ग्राम के मानचित्र सत्यापन की अवधि: 3 महीने (90 कार्य दिवस)
  • रैयतों से दावा की अवधि: 2 महीने (60 कार्य दिवस)

ऑनलाइन आवेदन प्रक्रिया

भूमि सर्वेक्षण के लिए ऑनलाइन आवेदन करने के लिए इन चरणों का पालन करें:

  1. सरकारी वेबसाइट dlrs.bihar.gov.in पर जाएं
  2. “बिहार विशेष सर्वेक्षण संबंधित सेवाएं” पर क्लिक करें
  3. “रैयत द्वारा स्वामित्व/धारित भूमि की स्वघोषणा हेतु प्रपत्र” चुनें
  4. अपनी व्यक्तिगत जानकारी और भूमि का विवरण भरें
  5. आवश्यक दस्तावेज अपलोड करें
  6. फॉर्म जमा करें और रसीद प्राप्त करें

आवश्यक दस्तावेज

सर्वेक्षण के लिए इनमें से कोई एक दस्तावेज जरूरी है:

  • जमीन की रजिस्ट्री
  • वसीयत
  • जमीन की रसीद
  • खतियान

सर्वेक्षण टीम का कार्य

  • घर-घर जाकर खतियानी जमीन धारकों से संपर्क
  • आपसी बंटवारे के लिए प्रोत्साहित करना
  • वंशावली और स्वघोषणा पत्र जमा करवाना
  • नक्शे से जमीन का मिलान करना

रिपोर्ट का सार्वजनिकीकरण

  • पूरा कागजात तैयार होने के बाद ही रिपोर्ट सार्वजनिक होगी
  • पंचायत और अंचल स्तर पर रिपोर्ट उपलब्ध कराई जाएगी
  • लोग अपनी जमीन से संबंधित जानकारी की जांच कर सकेंगे

आपत्तियों का निपटारा

  • सभी प्रकार की आपत्तियों की जांच की जाएगी
  • जांच के बाद ही कागजात को अंतिम रूप दिया जाएगा
  • विवादों को सुलझाने के लिए विशेष प्रयास किए जाएंगे

लोगों को जागरूक करने के प्रयास

  • सर्वेक्षण टीम घर-घर जाकर जानकारी देगी
  • आम सभाओं के माध्यम से लोगों को समझाया जाएगा
  • सर्वेक्षण प्रक्रिया और नियमों के बारे में बताया जाएगा

अमीनों के कार्य की जांच

  • हर अमीन के काम की जांच होगी
  • यह देखा जाएगा कि काम तय मापदंडों के अनुरूप है या नहीं
  • विभागीय दिशा-निर्देशों का पालन सुनिश्चित किया जाएगा

ई-मापी की प्रगति

  • अब तक 86,500 से अधिक आवेदन प्राप्त
  • 40,000 से अधिक लोगों ने ऑनलाइन भुगतान किया
  • 38,000 से ज्यादा आवेदकों को मापी की तारीख मिली
  • 22,274 मापी प्रतिवेदन ऑनलाइन भेजे गए

लाभार्थियों की संख्या

इस नए नियम से बिहार के लाखों लोगों को फायदा होने की उम्मीद है। विशेष रूप से:

  • ग्रामीण क्षेत्रों के निवासी
  • पुराने जमीन विवादों से प्रभावित परिवार
  • गरीब और वंचित वर्ग के लोग
  • जिनके पास औपचारिक दस्तावेज नहीं हैं

चुनौतियां और समाधान

इस व्यापक सर्वेक्षण में कुछ चुनौतियां भी हैं:

  1. बड़ी संख्या में आवेदन: 45,000 गांवों का सर्वेक्षण एक बड़ा काम है। इसके लिए पर्याप्त मानव संसाधन और तकनीकी सुविधाएं जुटाई जा रही हैं।
  2. तकनीकी समस्याएं: कभी-कभी सर्वर में दिक्कतें आती हैं। इसे दूर करने के लिए सिस्टम को अपग्रेड किया जा रहा है।
  3. जागरूकता की कमी: कई लोगों को प्रक्रिया की पूरी जानकारी नहीं है। इसके लिए व्यापक प्रचार अभियान चलाया जा रहा है।
  4. विवादों का निपटारा: पुराने जमीन विवादों को सुलझाना चुनौतीपूर्ण है। इसके लिए विशेष टीमें गठित की गई हैं।

भविष्य की योजना

सरकार की योजना है कि:

  • 2025 तक पूरे राज्य का भूमि सर्वेक्षण पूरा किया जाए
  • सभी भूमि रिकॉर्ड को डिजिटल किया जाए
  • एक एकीकृत भूमि प्रबंधन प्रणाली विकसित की जाए
  • जमीन से संबंधित सेवाओं को ऑनलाइन किया जाए

निष्कर्ष

बिहार सरकार का यह कदम राज्य में भूमि प्रशासन में एक बड़ा सुधार है। इससे न केवल पुराने विवाद सुलझेंगे, बल्कि लोगों को अपनी जमीन का कानूनी हक भी मिलेगा। 50 साल से जमीन पर काबिज लोगों को मालिकाना हक देने से गरीब और वंचित वर्ग को सबसे ज्यादा फायदा होगा। हालांकि, इस प्रक्रिया को पूरी तरह से पारदर्शी और निष्पक्ष तरीके से लागू करना एक बड़ी चुनौती होगी।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ)

  1. क्या 50 साल से कम समय से जमीन पर रहने वालों को कोई लाभ मिलेगा?
    • नहीं, यह नियम केवल 50 साल या उससे अधिक समय से जमीन पर रहने वालों के लिए है।
  2. क्या शहरी क्षेत्रों में भी यह नियम लागू होगा?
    • हां, यह नियम पूरे बिहार राज्य में लागू होगा, चाहे वह शहरी हो या ग्रामीण क्षेत्र।
  3. अगर किसी के पास रसीद नहीं है तो क्या होगा?
    • ऐसे मामलों में अन्य सबूतों जैसे बिजली बिल, पानी बिल आदि पर विचार किया जा सकता है
  4. क्या इस नियम से नए विवाद पैदा हो सकते हैं?
    • हां, इसकी संभावना है। इसलिए सरकार ने विवाद निपटारा तंत्र भी तैयार किया है।

अस्वीकरण (Disclaimer)

यह लेख केवल सूचनात्मक उद्देश्यों के लिए है। हालांकि हमने सटीक जानकारी देने का प्रयास किया है, फिर भी सरकारी नीतियों और नियमों में बदलाव हो सकता है। इसलिए, कृपया नवीनतम और आधिकारिक जानकारी के लिए बिहार सरकार की आधिकारिक वेबसाइट या स्थानीय राजस्व कार्यालय से संपर्क करें। यह लेख कानूनी सलाह नहीं है और इसे ऐसे नहीं माना जाना चाहिए। किसी भी कार्रवाई से पहले, कृपया एक योग्य पेशेवर से परामर्श लें।

भूमि सर्वेक्षण एक जटिल प्रक्रिया है और इसमें कई चुनौतियां हो सकती हैं। 50 साल के नियम के बारे में कहा जा रहा है, लेकिन इसके व्यावहारिक कार्यान्वयन में कई बाधाएं आ सकती हैं। इसलिए, इस नीति के बारे में अंतिम निर्णय लेने से पहले, सरकार द्वारा जारी आधिकारिक दिशानिर्देशों की प्रतीक्षा करना उचित होगा।

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